15000 Cr. का Bike Bot Scam in Hindi by SCAM TALK | Bike Bot Ghotala


BIKE BOT SCAM कैसे नोएडा स्थित एक फर्म ने एक बेहद साधारण निवेश योजना के जरिये 02 लाख से अधिक निवेशकों को 15,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया।

15000 Cr. का Bike Bot Scam in Hindi by SCAM TALK

इतना बड़ा फ्रॉड कैसे किया?

यह सब साल 2010 में शुरू हुआ था। कथित मास्टरमाइंड संजय भाटी ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ 20 अगस्त, 2010 को 'गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड' के नाम से एक रियल एस्टेट कंपनी शुरू की। कंपनी को लगभग नगण्य व्यवसाय के साथ ग्रेटर नोएडा से चलाया जा रहा था।

जल्दी पैसा बनाने के इरादे से संजय भाटी ने अगस्त 2017 में अपनी फर्म के माध्यम से एक योजना शुरू की - 'BIKE BOT - BIKE TAXI POWERED BY GIPL'

कैसे काम करती थी BIKE BOT स्कीम?

योजना के अनुसार, निवेशकों को एक मोटरसाइकिल के लिए भुगतान करना था जिसे दोपहिया टैक्सी के रूप में इस्तेमाल किया जाना था। बदले में, निवेशकों को उनके निवेश पर भारी रिटर्न का वादा किया गया था।

प्रत्येक निवेशक को एक बाइक के लिए 62,100 रुपये देने को कहा गया। 5,175 रुपये प्रति माह की EMI तय की गई थी और किराया 4,590 रुपये प्रति बाइक प्रति माह तय किया गया था। इस योजना में 10 प्रतिशत की मिलान आय के साथ प्रति बाइक पांच प्रतिशत मासिक किराये की आय बोनस भी शामिल है।


सूत्रों का कहना है कि अगर ग्राहकों ने 62,000 रुपये की दर से एक बाइक में निवेश किया, तो कंपनी प्रति वर्ष 1.17 लाख रुपये से अधिक की वापसी का वादा कर रही थी। निवेशक जितनी चाहें उतनी बाइक में निवेश करने के लिए स्वतंत्र थे।

निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए, संजय भाटी की फर्म ने निवेशकों के साथ एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जिससे यह आभास हुआ कि उनका पैसा सुरक्षित है और उनके निवेश पर रिटर्न कहीं नहीं जाएगा।

"कम समय में निवेशकों से पैसा निकालने के लिए, कंपनी ने गलत इरादे से विज्ञापन दिया कि 'BIKE BOT - BIKE TAXI POWERED BY GIPL' योजना को बहुत जल्द बंद कर दिया जाएगा और वे लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं और उन्हें इसका लाभ उठाना चाहिए। जल्दी से पैसा जमा करो,"

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इस तरह के विज्ञापन पर, लगभग 2,00,000 निवेशकों ने पैसा लगाया, हालांकि, तथ्य यह है कि शिकायत दर्ज की गई थी और कंपनी की धोखाधड़ी गतिविधि नोएडा जिला प्राधिकरण के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में थी, जिन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि, एसएसपी और एसपी क्राइम ब्रांच ने शिकायतकर्ताओं पर अपनी शिकायत वापस लेने का दबाव डाला, “सीबीआई की प्राथमिकी पढ़ें।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि संजय भाटी और उनके सहयोगियों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत निवेशकों को धोखा दिया और व्यापार के नाम पर देश भर में कम से कम 15,000 करोड़ रुपये एकत्र किए।

अलग-अलग जिलों में दर्ज हैं मुकदमे 

कंपनी के नाम पर मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद समेत पश्चिमी यूपी के कई जिलों में मुकदमे दर्ज हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच EOW को सौंपी गई थी. नोएडा में इस फ्रॉड कंपनी को लेकर कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. पैसा डायवर्ट करने के मामले में दर्जनों खाते भी सील किए जा चुके हैं. कंपनी से जुड़ी मोटर साइकिलें भी बरामद की गई थीं. बरामद किए गए वाहन गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स के नाम से रजिस्टर्ड थे. मोटर साइकिलें बजाज कंपनी की थीं और उन पर BIKE BOT का स्टिकर लगाया गया था. ज्यादातर बाइकें नई थीं और गोदामों में ही खड़ी थीं.

कौन कौन है आरोपी?

BIKE BOT कंपनी में निदेशक रहे राजेश भारद्वाज की दो करोड़ रुपये की संपत्ति कमिश्नरेट पुलिस ने जब्त की है. इसके तहत नोएडा के सेक्टर-121 में स्थित क्लियो काउंटी हाउसिंग सोसायटी के फ्लैट को जब्त कर लिया है.फ्लैट के बहत पुलिस ने नोटिस चस्पा कर दिया है. राजेश भारद्वाज घोटाले में बराबर का हिस्सेदार है.

07 अक्टूबर को, एसटीएफ ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी और घोटाले के मास्टरमाइंड का एक भाई शामिल था।

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BIKE BOT SCAM - आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट 

नोएडा पुलिस ने BIKE BOT घोटाले से जुड़े संजय भाटी, राजेश भारद्वाज, विजयपाल कसाना, हरीश कुमार, विनोद कुमार, संजय गोयल, विशाल कुमार, राजेश सिंह यादव जैसे तमाम आरोपियों पर गैंगस्टर कानून के तहत शिकंजा कसा गया है.

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जब्त किया गया इतना सामान

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बताया कि रविवार को छापों के दौरान BIKE BOT घोटाले से जुड़े बहुत सारे दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और 9.5 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई. ईडी अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान गिरफ्तार किए गए त्यागी की भूमिका BIKE BOT की प्रमोटर कंपनी गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड के सिलसिले में संदेह के दायरे में है.

कौन है मनोज त्यागी ? 

ED के मुताबिक, एफ7 ब्रॉडकास्ट प्राइवेट लिमिटेड का पूर्व निदेशक त्यागी इस घोटाले के मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह हुड्डा के सबसे करीबियों में से एक था और उसके करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने में उसकी मदद करता था. मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार त्यागी सोमवार को लखनऊ में विशेष अदालत में पेश होगा.

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BIKE BOT में करोड़ों रुपये का गोलमाल 

त्यागी ने मामले से जुड़े तथ्य और सबूत छिपाकर एजेंसी को गुमराह किया है. त्यागी की कंपनी एफ7 ब्रॉडकास्ट में BIKE BOT से जुड़ी विभिन्न कंपनियों ने करीब 13.41 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. इसके अलावा इस कंपनी में विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और ट्रस्ट से भी करीब 2.63 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. ED ने दावा किया कि ये पैसा भी BIKE BOT निवेशकों से जुटाए गए फंड से ही ट्रांसफर किया गया था.

मास्टरमाइंड संजय भाटी ने भी लिया था त्यागी का नाम

BIKE BOT घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी ने भी पूछताछ के दौरान मनोज त्यागी का नाम लिया था. संजय ने बताया कि उसकी तरफ से वित्तीय लेनदेन के लिए साइन किए हुए सभी चेक त्यागी ने ही लिए थे. ED ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि त्यागी लगातार हुड्डा के संपर्क में था और उसके निर्देशों पर कामकाज कर रहा था, लेकिन उसने ED के सामने पूछताछ के दौरान ये बात छिपाई थी. ED के मुताबिक, रविवार को इसी घोटाले में साहा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर व निदेशक अनिल कुमार साहा के ठिकाने पर भी छापा मारा गया.

BIKE BOT SCAM मामले में कितनो को हुई है जेल 

BIKE BOT SCAM मामले की जांच ईओडब्ल्यू की मेरठ शाखा कर रही है. इस मामले में अब तक 20 आरोपियों में से 12 को जेल भेजा जा चुका है. सुनील कुमार की गिरफ्तारी इस मामले में सबसे अहम मानी जा रही है.

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Disclaimer :

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