Anubhav Plantation Scam | The Great Indian Plantation scam 1998 | Teak Plantation scam in Hindi

आपने बहुत सारे Scam के नाम सुने होंगे जैसे कि फिशिंग Scam, इन्वेस्टमेंट Scam, स्टॉक मार्केट Scam, पेंशन Scam, लोन Scam, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर Scam, मोबाइल s.m.s. Scam, टिकट Scam, आदि। लेकिन क्या आपने Plantation यानी वृक्षारोपण Scam के बारे में कभी सुना है। नहीं सुना तो आज इस लेख के जरिए इस Anubhav Plantation Scam | The Great Indian Plantation scam 1998 | Teak Plantation scam के बारे में भी जान जाएंगे।

Anubhav Plantation Scam | The Great Indian Plantation scam 1998 | Teak Plantation scam in Hindi

Anubhav Plantation kya hai?

Anubhav Plantation एक चेन्नई की कंपनी है जिसकी स्थापना 1992 में हुई थी जो सौगान के पेड़ (Teak Plantation) कर के निवेशकों को गारंटीड रिटर्न देने का वादा करती थी।

टीक यानी सागौन की लकड़ी की मजबूती की मिसाल दी जाती है। गांव-गिराव में लोहे के बराबर है टीक का दर्जा। लेकिन टीक की इसी मजबूती ने हज़ारों निवेशकों की तिजोरी में सेंध लगा दी। इस घोटाले की नींव पड़ी थी 1990 के दशक में। वह उदारीकरण का दौर था। सरकार अर्थव्यवस्था को सरपट दौड़ाने के लिए तमाम तरह की रियायतें दे रही थी। इस उदारीकरण में निजी कंपनियों को एग्रीकल्चरल कमोडिटीज में निवेश की इज़ाजत मिल गई। पहले यह हक़ सिर्फ नैशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डिवेलपमेंट यानी नाबार्ड के पास था।

बदलाव की इस बयार में सी C. Natesan ने 1992 में एक कंपनी रजिस्टर्ड कराई, Anubhav Plantation LimitedNatesan ने चेन्नई के विवेकानंद कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था। चार्टर्ड अकाउंटेंसी में भी दाखिला लिया, पर पढ़ाई बीच में छोड़कर बिजनेस करने का मन बना लिया। Natesan ने कारोबारी करियर की शुरुआत की 1983 में कंसल्टेंसी फर्म 'योर्स फेदफुली कंसल्टेंसी' के साथ। यह काम कुछ ख़ास चला नहीं, तो तीन साझीदारों के साथ मिलकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली। लेकिन, घाटे के चलते तीन साल बाद इसे भी बंद करना पड़ा। आखिर में Natesan ने Anubhav Foundation की नींव रखी।

Anubhav Foundation से Natesan की किस्मत बदल गई। अगले छह साल में Anubhav Group ने Anubhav Homes और Anubhav Resort समेत दर्जनों सब्सिडियरी बना लीं। इन कंपनियों के तहत Anubhav Group 254 फाइनैंस फर्म चला रहा था। इन फर्मों की भी कई यूनिटें थीं। मिसाल के लिए, Anubhav Plantation के अंडर छह कंपनियां थीं। 1998 तक Anubhav Group की वैल्यू बढ़कर 250 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने टीक Plantation के साथ ही फाइनैंस, रियल एस्टेट और टाइमशेयर जैसे धंधों में धाक जमा ली। इसने करीब दो हज़ार लोगों को रोजगार दिया। इसके पास हुनरमंद लोगों को फ़ौज थी, जो उस शख़्स को भी कंघी बेच सकते थे, जिसके सिर पर बाल ही न हो।

Anubhav Group में और चार कंपनियां भी काम करती थी। जैसे कि Anubhav Agrotech, Anubhav Gree Farms and Resort, Anubhav Plantation और Anubhav Royal Arcade Export

इस कंपनी का मालिक और चेयरमैन C Natesan था जिसने Anubhav Group बनाया गया था।

Anubhav Plantation Scam kya hai?

Natesan ने Anubhav Plantation की स्थापना की और कहा कि हम यहां पर टिक के पेड़ लगाते हैं। उसने स्कीम बनाई कि यहां पर निवेशकों को ₹1000 का निवेश करके 20 साल बाद ₹50000 गारंटीड रिटर्न मिलेगा और हर साल ब्याज भी। कंपनी इस 1000 रुपए के निवेश से टिक के पेड़ लगाएगी और भविष्य में इससे बड़ी कमाई करेगी। दरअसल टिक के पेड़ लगाने में सिर्फ 20 से 30 रुपए ही लगते हैं। लेकिन खाद और उनके रखरखाव का खर्च जोड़कर कंपनी ने हजार रुपये के निवेश की रकम रखी जो जरूरत से 20 से 30% ज्यादा थी।

इससे भी बड़ी बात यह थी कि कंपनी निवेश की इस रकम को पेड़ लगाने में इस्तेमाल ही नहीं करती थी। कंपनी दवा करती थी कि उसने हजार एकड़ जमीन में पौधे लगाए हैं। लेकिन यह सच नहीं था। कंपनी बड़े बड़े रिटर्न के झूठे दावा करके और 6 साल तक बड़ी-बड़ी एडवर्टाइजमेंट करके निवेशकों से करोड़ों रुपए इकट्ठे किए।

उस समय टीवी चैनलों में भी नातेसान की कंपनी को बड़ी बताया गया। न्यूज़ पेपर में भी अनाउंसमेंट की गई कि कंपनी टिक के पेड़ से फर्नीचर और अन्य उपकरण बनाकर बड़ी कमाई करेगी। साथ में कंपनी को बड़ी बताने के लिए Natesan ने अपनी कंपनी को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) के साथ जोड़ा। इससे और भी नए-नए एवं छोटे निवेशक जुड़ने लगे।

Anubhav Plantation Scheme kya hai?

Anubhav कई कारोबार में शरीक थी, लेकिन इसकी सबसे बड़ी पहचान थी टीक Plantation। कंपनी ने टीक से जुड़ी कई स्कीम लॉन्च की। एक स्कीम में 77 गुना रिटर्न का वादा था। इसमें निवेशक 6 हज़ार से लेकर 60 हज़ार रुपये जमा कर सकते थे। 6 हज़ार रुपये जमा करने पर 300 वर्ग फुट जमीन मिलती, जिसमें सागौन के तीन पौधे लगे होते। इस स्कीम के मैच्योर होने की अवधि थी 20 साल। इस दौरान ज़मीन और पेड़ के रखरखाव का जिम्मा Anubhav Group के पास रहता। निवेशक को पहले 6 साल तक सालाना एक हज़ार रुपये मिलते। छठे साल के आखिर में 6 हज़ार और 12वें साल के अंत में 12 हज़ार रुपये का बोनस देने की बात थी। 20 साल पूरा होने पर निवेशक अपनी पसंद के हिसाब से 3 लाख रुपये या 40 क्यूबिक फीट सागौन ले सकता था।

Anubhav Group ने अपनी स्कीमों का जोरदार प्रचार किया। विज्ञापन पर भारी-भरकम रक़म खर्च की। 100 के करीब आलीशन ऑफिस भी बनवा लिए। निवेशकों को भरोसा हो गया कि उनका पैसा सही जगह लगा है। अब 6 हज़ार लगाकर 3 लाख रुपये कमाने का मौका भला कौन छोड़ना चाहेगा। Anubhav Group के पास निवेशकों का तांता लग गया। जल्द ही कंपनी के पास 400 करोड़ रुपये डिपॉजिट हो गए।

इस तरह की स्कीम ऑफर करने वाला Anubhav पहला ग्रुप नहीं था। 1990 के दशक की शुरुआत से दक्षिण भारत में दर्जनों कंपनियां रजिस्टर हुई थीं। बिना पर्याप्त पूंजी और फसल बीमा के। कई कंपनियां तो अपना खर्च चलाने लायक भी नहीं थीं, लेकिन भारी रिटर्न का वादा करके निवेशकों को फांस लिया। इनमें से सभी कंपनियां 20 साल में सागौन का पेड़ तैयार होने का वादा कर रही थीं, जबकि अमूमन सागौन के पेड़ से रिटर्न मिलता है 50-60 साल बाद। नाबार्ड के मुताबिक, एक टीक पेड़ लगाने की लागत 20 से 30 रुपये थी, लेकिन Anubhav Plantation जैसी कंपनियां पेड़ों की कटाई-छंटाई और खाद के नाम पर 200 से 300 रुपये तक वसूल रही थीं। सागौन की मौसम पर निर्भरता भी काफी ज़्यादा होती है। इसके बागान ने भारत में शायद ही कभी भरोसे लायक रिटर्न दिया हो।

Kaise hua The Great Plantation scam ka pardafash?

Natesan ग्रुप की फाइनैंशल परफॉर्मेंस को हमेशा गुप्त रखता। यहां तक कि इसके बारे में निवेशकों को भी कुछ नहीं बताया गया। निवेशकों को भी इसकी कोई चिंता नहीं थी। उन्हें हर महीने ब्याज़ तो मिल ही रहा था। करोड़पति बनने का ख्वाब देख रहे निवेशकों की नींद 1998 में खुली, एक धमाके के साथ। Anubhav Group के अधिकतर चेक बाउंस होने लगे। निवेशकों के होश उड़ गए। ज़्यादातर पैसे लगाने वाले मध्यम वर्ग के लोग थे, जिन्होंने अपनी बचत Anubhav Group के हवाले कर दी थी। किसी ने 15 हज़ार रुपये का निवेश किया था, तो किसी की रक़म लाखों में थी। कई निवेशक तो दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके थे। कंपनी ने ग्राहकों को फंसाने के मामले में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया। उसने मुंबई जैसे महानगरों से आने वाले बड़े निवेशकों को भी उसी शिद्दत से लूटा, जिस तरह से शिमला और सांगली जैसे छोटे शहरों और कस्बों से आने वाले निवेशकों को।

बाद में कंपनी ने सभी निदेशकों को पत्र लिखकर चेन्नई बुलाया और कहा कि यहां आकर अपने सभी बाकी के पैसे ले जाओ। लेकिन जब वह लोग चेन्नई पहुंचे तो कंपनी के ऑफिस के दरवाजे पर ताला लगा था। कंपनी बंद हो चुकी थी और Natesan फरार हो गया था। निवेशकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब उनको पता चला कि उसके साथ धोखा हो गया है और यह एक पोंजी स्कीम (Ponzi scheme) थी। इसी तरह कंपनी का 400 करोड़ रूपए का टिक Plantation Scam बाहर आया।
इस Scam को The Great Indian Plantation scam 1998 या Teak Plantation scam या Anubhav Plantation scam भी कहते है। इस Scam की वजह से बहुत सारे निवेशकों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ, कई सारे निवेशक दिवालिया हो गए और कई की रिटायरमेंट जमा पूंजी भी चली गई।

Anubhav Plantation Scam के निवेशकों ka kya hua?

Anubhav Group के निवेशकों को अपनी रक़म वापस मिलने की उम्मीद जगी दिसंबर 1998 में, जब उन्हें एक खत मिला। इसमें सभी इन्वेस्टर्स को चेन्नै के वुडलैंड्स होटल में बुलाया गया उनके बकाये का भुगतान करने के लिए। वहां निवेशकों के साथ बंद कमरे के भीतर मुलाकात हुई। लेकिन इस मीटिंग में Anubhav Group का कोई रोल नहीं था। दरअसल, इन्वेस्टर्स को एक लॉ फर्म ने बुलाया था, जो Anubhav Group के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों की तहकीकात कर रहा था। लेकिन निवेशकों को आस ज़रूर थी कि उनका पैसा वापस मिल सकता है। मीटिंग के वक़्त होटल के अंदर-बाहर जमघट था। कुछ लोग बाहर फुटपाथ पर बैठे थे। उन सभी के चेहरे पर अपनी सारी जमा-पूंजी के दांव पर लगे होने का खौफ साफ देखा जा सकता था।

इस घोटाले की खबर मीडिया को लगी, तो रोज नए-नए खुलासे होने लगे। सरकारी जांच के मुताबिक, Anubhav Group की हालत ऐसी थी कि मोटा रिटर्न तो छोड़िए, वह हर महीने ब्याज़ का पैसा भी न दे पाए। पुराने निवेशकों को जितना भी ब्याज़ मिला, उसका भुगतान नए निवेशकों के पैसों से किया गया था। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, औसतन निवेशक 300 करोड़ रुपये जमा करते, तो कंपनी के प्रमोटर की ओर से महज 35 लाख रुपये आते। इससे पता चलता है कि कंपनी किस कदर निवेशकों पर निर्भर थी।

इस मामले की सुनवाई के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने एक लिक्विडेटर एम. रवींद्रन को नियुक्त किया, ताकि निवेशकों को थोड़ा-थोड़ा करके पैसा दिया जा सके। कई शहरों में सपोर्ट ग्रुप बना, जिससे लोग एकसाथ अपनी निवेश वाली रक़म के लिए दावा कर सकें। पुणे में ऐसी ही एक कमिटी बनी, नाम था Pune Anubhav Investment Action Committee। इसमें साढ़े सात सौ लोग शामिल थे, जिन्होंने कुल 06 करोड़ रुपये डिपॉजिट कर रखे थे।

क़ानूनी एजेंसियों की चौकसी से कुछ वक़्त बाद Natesan भी पकड़ा गया। अदालत की सख्ती के बाद Anubhav Group ने साढ़े 31 हज़ार निवेशकों के करोड़ों रुपये वापस किए। लेकिन अब भी दो हज़ार से अधिक निवेशक अपनी खून-पसीने की कमाई वापस मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं।

Anubhav Plantation company ka kya hua?

Scam का जब पता चला तब तक Natesan फरार हो गया था। लेकिन बाद में Natesan जो कंपनी का चेयरमैन था उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। साथ में मद्रास हाई कोर्ट ने कंपनी के डायरेक्टर एस श्रीनिवास राव के खिलाफ non-bailable वारंट जारी किया।

उस समय Tree Plantation Scam एक लौता Scam नहीं था। बहुत सारी कंपनियां ऐसी स्कीम चला कर अपने निवेशकों को ठग रही थी। जिसमें Pearls Agrotech Corporation Limited (PACL) कंपनी ने 49100 करोड़ रूपए का Scam किया था।

7 साल की जुडिशल कस्टडी के बाद में Natesan बेल पर रिहा हो गया। कंपनी को 31431 जमाकर्ताओं को पैसे वापस करने पड़े। लेकिन 2044 निवेशकों को अभी भी अपने पैसे वापस नहीं मिले हैं।

घोटाले में शामिल कुल राशि 107,12,33,696/-
निवेशकों को चुकाई गई राशि 100,44,64,461/-
जमाकर्ताओं की कुल संख्या 33,475
जमाकर्ताओं द्वारा निपटाई गई दावों की कुल संख्या 31,431 

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